क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी कांग्रेस के लिए जमीन वापस पाने का मौका हो सकती है

क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी कांग्रेस के लिए जमीन वापस पाने का मौका हो सकती है

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में ED ने गिरफ्तार कर लिया है. केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी आक्रामक है तो वही, कांग्रेस के लिए भैया जमीन वापस पाने का मौका बताया है. जानिए कैसे?

देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और दिल्ली में राजनीति गर्म है. केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को परिवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है. एड के एक्शन के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उत्तर प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं. इन सब के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। 

बीजेपी को केजरीवाल के खिलाफ ईडी के एक्शन से आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार की पिच पर गिरने का मौका मिल गया. कांग्रेस केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी के साथ कड़ी नजर आ रही है लेकिन बीजेपी के नेता उसी के नेताओं के पुराने बयान दिखा रहे हैं जिसमें वह शराब घोटाले में दिल्ली के कम पर एक्शन की डिमांड कर रहे थे. भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हुए आक्रामक है. वहीं केजरीवाल की गिरफ्तारी को कांग्रेस के लिए भी जमीन वापस पाने का मौका भी बताया जा रहा है. 

अब सवाल उठ रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, है दोनों ही डाल दिल्ली में गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं फिर एक सहयोगी की मुश्किल दूसरे के लिए मौका कैसे? कांग्रेस केजरीवाल के साथ खड़ी जरूर है लेकिन शराब घोटाले में बीजेपी के हमले का केंद्र आम आदमी पार्टी ही है. सरकार आम आदमी पार्टी की है, मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी है तो सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी किया लड़ाई कोई जमीन वापस पाने की जुगत में जुटी कांग्रेस के लिए मौका हो सकता है. इसे आम आदमी पार्टी के उदय से पहले यानी 2013 के पहले और इसके बाद के चुनाव नतीजो से भी समझा जा सकता है.

AAP मजबूत होती गई, कांग्रेस कमजोर

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटे हैं और 1998 से 2013 तक कांग्रेस की सरकार रही. आम आदमी पार्टी 2013 चुनाव में अपने सियासी उभर के बाद चुनाव दर चुनाव मजबूत होती गई और कांग्रेस का वोट शेयर गिरता ही चला गया. अपने पहले ही चुनाव में आम आदमी पार्टी 29.7 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ 28 सीटें जीतकर 31 सीटें जीतने वाली भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. कांग्रेस को 24.7 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ मात्र 8 सीटों से संतोष करना पड़ा. बीजेपी को 33.3 और बसपा को 5.4 फिटी वोट मिले थे. 

अब इससे ठीक पहले वाले यानी 2008 के दिल्ली चुनाव नतीजे की बात करें तो कांग्रेस को 40.3 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ 43, बीजेपी को 36.3 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ है 23 सीटें मिली थीं. तब बहुजन समाज पार्टी दो सीटें जीत सकी थी लेकिन पार्टी को 14 फीसदी वोट मिले थे. लोक जनशक्ति पार्टी को 1.3 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ एक और 3.9 फ़ीसदी वोट निर्दलीय उम्मीदवारों को भी मिले थे।

40 से 4 फीसदी वोट पर आई कांग्रेस

साल 2008 के दिल्ली चुनाव के मुकाबले 2013 में कांग्रेस का वोट शेयर करीब 16 फ़ीसदी, बीजेपी का वोट शेयर 3 फ़ीसदी और भाजपा का वोट शेयर 9 फीसदी कम हुआ. इन 3 पार्टियों का वोट शेयर कुल मिलाकर करीब 28 फीसदी काम हुआ और आम आदमी पार्टी को 29.7 फीसदी वोट मिले.

दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 50 फीसदी के पार रहा तो वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यह लैंडमार्क पर किया. आम आदमी पार्टी के उदय के बाद भी बीजेपी का वोट शेयर 32 से 37 फ़ीसदी के बीच रहा है और कांग्रेस 40 से 4  फ़ीसदी पर आ गई. 

कांग्रेस के लिए मौका कैसे

राजनीतिक विश्लेषक अभिताभ तिवारी ने कहा कि दिल्ली में तीन तरह के वोटर है. एक बीजेपी का वोट बैंक, दूसरा एंटी बीजेपी वोटर और तीसरी कैटेगरी है फ्लोटिंग वोटर्स यानी ऐसे वॉटर जिनकी आस्था किसी एक दल के साथ नहीं है. विधानसभा से लोकसभा चुनाव तक यह परिणाम पर भी नजर आता है. जरूरी नहीं है कि ऐसा हो ही. लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अगर आप आदमी पार्टी कमजोर होती है तो ऐसे वॉटर के सामने कांग्रेस के अलावा कोई मजबूत विकल्प नहीं रहेगा और ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए यह अपने छिटके वोटर को फिर से साधने का सबसे मुफीद मौका होगा.

गौरतलब की दिल्ली कांग्रेस के नेता आम आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का मुखर विरोध कर रहे थे. लोकल यूनिट के विरोध को दरकिनार कर पार्टी नेतृत्व ने केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया तो इसके पीछे भी अपने छिटके वोटर को हाथ के साथ जोड़ने की रणनीति बताई गई. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन खड़ा कर सहानुभूति उत्पन्न करने की रणनीति पर बढ़ती नजर आ रही है. केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली में हाथ मजबूत होता है या कमल, या झाड़ू की रफ्तार बढ़ती है? यह आने वाला वक्त बताएगा

todaylifeok.com

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