अखिलेश प्रियंका के बिना राहुल गांधी अमेठी और रायबरेली में कितना असर छोड़ पाएंगे?

अखिलेश प्रियंका के बिना राहुल गांधी अमेठी और रायबरेली में कितना असर छोड़ पाएंगे?

अमेठी या रायबरेली में अखिलेश यादव को भी राहुल गांधी की न्याय यात्रा में साथ होना था. अचानक बीमार पड़ जाने के कारण प्रियंका गांधी भी नहीं पहुंच सकी. मजबूरन राहुल गांधी को अकेले समृती ईरानी से जूझना पड़ा. जिनकी नजर रायबरेली तक बनी हुई है। 

राहुल गांधी ने कार्यक्रम बनाया नहीं की स्मृति ईरानी अमेठी पहले ही पहुंच जाती है. यह सिलसिला 10 साल से चल रहा है. 2014 समृती ईरानी अमेठी से चुनाव हार गई थी. लेकिन कभी राहुल गांधी को अकेले अड्डा जमाने नहीं दिया. और 2019 में चुनाव जीत जाने के बाद भी स्मृति ईरानी के तत्परता में कोई तब्दीली नहीं आई है।

भारत जोड़ो नया यात्रा के साथ राहुल गांधी के अमेठी पहुंचने के पहले से ही स्मृति ईरानी इलाके में दस्तक दे चुकी थी. राहुल गांधी की न्याय यात्रा अभी अमेठी में दाखिल हो रही थी, और स्मृति ईरानी का जन संवाद कार्यक्रम चल रहा था. अमेठी के लोग अपनी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे थे. टीवी पर वह लोग मीडिया को बता रहे थे कि कोई काम नहीं हो रहा है लेकिन यह पूछे जाने पर की चुनाव कौन जीतेगा, उनके जवाब पर एक ही नाम था – स्मृति ईरानी . 

एक शख्स को जमीन का कब्जा नहीं मिल रहा था. मौके पर ही स्मृति ईरानी ने जमकर हड़काया. लेखपाल को डांटे वक्त भी लग रहा था. जैसे उनके सामने छवि राहुल गांधी की ही, हो आप लेखपाल है… अमेंठी के मालिक नहीं है। 

अव्वल तो प्रियंका गांधी वाड्रा को राहुल गांधी के साथ होना था ताकि वह स्मृति ईरानी को सही जवाब दे सके, लेकिन वह 16 फरवरी को ही अस्पताल में भर्ती हो गई जब उनको यूपी में भारत जोड़ो नयाय यात्रा में शामिल होना था. प्रियंका गांधी वाड्रा ने तबीयत खराब होने के जानकारी सोशल साइट ट्वीटर पर दी थी तब से कोई अपडेट भी नहीं आया है।

ऊपर से अखिलेश यादव ने भी कदम पीछे खींच लिया है जब तक सीटों पर बंटवारे का मामला फाइनल नहीं हो जाता वह नया यात्रा में राहुल गांधी का साथ नहीं देने वाले नया यात्रा का न्यौता पाने के बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि वह रायबरेली या अमेठी में जरूर शामिल होंगे अभी तो स्थिति यही है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और अखिलेश यादव के बगैर राहुल गांधी अकेले जूझ रहे हैं।

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अमेठी की लड़ाई

 

राहुल गांधी के अमेठी पहुंचने से पहले से ही काफी गहमगहमी देखी गई, एक तरफ कांग्रेस कार्यकर्ता स्वागत की तैयारी में जुटे थे तो दूसरे तरफ भाजपा कार्यकर्ता नारेबाजी में राहुल गांधी गो बैक अप पुलिस की चुनौती दोनों दलों के कार्य कर्ताओं को आमने-सामने आने से रोकना हो गई है।

 

स्मृति ईरानी अमेठी में राहुल गांधी के रायबरेली से भी चले जाने के बाद भी बनी रहेगी 22 फरवरी को स्मृति ईरानी गृह प्रवेश करने वाली है स्मृति ईरानी ने अमेठी में घर बनवाने की वजह भी बताई थी कि उनसे मिलने के लिए लोगों को दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा जाहिर है यह भी गांधी परिवार पर ही कटाझ था.

 

स्मृति ईरानी का दावा है कि राहुल गांधी के स्वागत के लिए भी प्रताप पकड़ और सुल्तानपुर से लोग लानी पड़े हैं ऐसे होने के पीछे स्मृति ईरानी की दलील है कि राहुल गांधी के उत्तर भारत और अमेठी के लोगों की राजनीतिक समाज पर सवाल उठाने की बात लोग अब तक भूले नहीं है.



स्मृति ईरानी ने लगे हाथ राहुल गांधी को अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती भी दे डाली अगर वह आस्वस्त है तो व्हाय नॉट जाए बिना अमेठी से चुनाव लड़ कर दिखाएं.

 

अमेठी को लेकर गांधी परिवार काफी कन्फ्यूज लगता है बीच-बीच में सुनने में आता है कि अमेठी के कांग्रेस राहुल गांधी की जगह प्रियंका गांधी को लाया जा सकता है. लेकिन लक्षण तो बिल्कुल नहीं नजर आ रहे हैं।

 

अगर प्रियंका गांधी राहुल गांधी के साथ आई होती तो एक बार ऐसी संभावनाओं को बोल भी मिलता 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान तो प्रियंका गांधी को अमेठी में भी काफी सक्रिय देखा गया था लेकिन उसके बाद तो ऐसा लगा जैसे कोई मतलब ही नहीं रह गया हो.

 

यह ठीक है कि यूपी चुनाव के बाद प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश चुनाव में व्यस्त थी, तब भी लगा था कि उनको अमेठी रायबरेली पर ज्यादा वक्त देने के लिए ऐसा किया गया होगा लेकिन यह बात भी नहीं रही.

 

अगर प्रियंका गांधी सक्रिय होती और चुनाव नहीं लड़ना चाहती तो राहुल गांधी के लिए भी मौका था. अब तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता अभी तो ऐसी कोई चीज दिखाई नहीं पड़ती जिससे लगे कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव जीत सकते हैं.

 

2019 में सपा बसपा गठबंधन के बावजूद अमेठी और रायबरेली से अखिलेश यादव और मायावती ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था और हो सकता है कि इस बार भी ऐसा ही हो तब भी जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन की सूरत ना पर बनती हो.

 

लेकिन लगता नहीं कि राहुल गांधी भी अकेले बीजेपी यानी स्मृति ईरानी को अमेठी में चलेंगे कर पाएंगे, कांग्रेस को हर हाल में अखिलेश यादव के सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी और सिर्फ कागजी सपोर्ट नहीं चुनाव प्रचार के दौरान मौजूदगी भी जरूरी होगी।

रायबरेली की जंग

 

अमेठी के मैदान से ही स्मृति ईरानी रायबरेली लोकसभा सीट पर भी निशाना साधने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस की मुश्किल यह है कि सोनिया गांधी ने राजस्थान के जरिए राज्यसभा का रुख कर लिया है, और बीजेपी को राय बरेली के लोगों से भड़काने का मौका मिल गया है.

 

वैसे सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों के नाम एक पत्र लिखकर रिश्ते की अहमियत बताई थी. और पहले की तरह अपने लिए और परिवार के लिए पहले की तरह ही आगे के लिए भी सपोर्ट करते रखने की गुजारिश की थी.

 

अमेठी में स्मृति ईरानी करती है किसी ने नहीं सोचा था गांधी परिवार अपनी सीट छोड़ देंगे और फिर समझता है कि रायबरेली के लोग जानते हैं कि कैसे अमेठी की संसद है यानी वह खुद और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार उनके लिए जो भी कर सकते हैं कर रहे हैं।

 

अमेठी को छोड़ दिया जाए तो गांधी परिवार के लिए रायबरेली में अब भी गुंजाइश बनी हुई है रायबरेली लोकसभा के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं 5 में से एक सीट से बीजेपी की अदिति सिंह विधायक है अदिति सिंह भी पहले कांग्रेस में ही हुआ करती थी और गांधी परिवार की गरीबी समझी जाती थी.

 

रायबरेली के पांच में से चार विधायक समाजवादी पार्टी के हैं लोकसभा की बात और होती है लेकिन विधानसभा सीट पर ताबीज होने का भी अपना असर तो होता ही है अगर एक बार फिर राहुल गांधी को अखिलेश यादव का साथ मिल जाए तो मामला अभी उतना भी बिगड़ा नहीं है।

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